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ॐ नमो श्री हरि !
हे श्याम !
लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरा गुरु कौन है
मैं तेरा नाम बता देती हूँ
लोग कहते हैं कि श्याम तो सबके हैं
पर तुमने दिक्षा किससे ली
मैं फिर तेरा नाम बता देती हूँ
लोग हँस कर कहते हैं ख्वाब में मंत्र दिया होगा
अब तू ही बता कि मैं क्या कहूँ
मुझे तो तेरी पूरी जीवन यात्रा ही शिक्षा देती है
हारती हूँ जब तो मनोबल सम्भालती है
जीतने पर मेरा अहंकार हर लेती है
तेरा गऊ चराना सीखता है काम कोई छोटा नहीं
और गोपियों से कर मांगना हक़ के लिये लड़ना सीखता है
बालपन में दैत्यों को मार कर तूने बताया कि
शक्ति उम्र नहीं देखती उसे जब चाहो तब पा लो
और क्या-क्या बताऊँ तू कुछ सब जानता है
हे श्याम ! एक यही प्रार्थना है
मुझे हर पल यूँहिं राह दिखाते रहना
मेरे जीवन के कुरुक्षेत्र में होने वाले धर्मयुद्ध में
मुझे अर्जुन की भाँति सम्भाल लेना
जब-जब विचलित हो मन मेरा
पाऊँ गीता ज्ञान तेरा
नाते-रिश्तों में पड़कर, धर्म-पथ से भटकू ना
बात न्याय की करते हुए, अपनों-गैरों में अटकू ना
जो तुझसे शिक्षा पाई है, उस शिक्षा से सरोकार रहे
पाखंड-झूठ-मक्कारी पर, तेरे नाम का सदा ही वार रहे
मैं कहीं भी रहूँ, कैसे भी रहूँ, रहूँ रहूँ या ना भी रहूँ
पर, मेरी आत्मा पर तेरे प्रेम का सदा सदा श्रृंगार रहे
ॐ नमो श्री हरि !
ॐ नमो श्री राम कृष्ण हरि !
गीता राधेमोहन
प्रेमाभक्ति योग संस्थान
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प्रेमाभक्ति योग - ईश्वर से प्रेम करना ही प्रेमाभक्ति है। प्राचीन समय में पह्लाद से लेकर वर्तमान तक जिसने भी ईश्वर से विशुद्ध प्रेम किया है। उसने सहज ही में ईश्वर को प्राप्त किया है। प्रेमाभक्ति ईश्वर को पाने का सरल और सहज रास्ता है। इस पर चलने के लिए सिर्फ़ एक ही शर्त है कि आप को विशुद्ध प्रेम करना आना चाहिए। You can get perfect solution to your any problem From Premabhakti Yog.
Wednesday, 28 December 2016
लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरा गुरु कौन है !
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