ॐ नमो श्री हरि !
एक प्यारी सी शिकायत अपने प्रीतम श्याम से !
हे श्याम !
तुम तो ऐसे ना थे
तुम तो नंगे पैर दौड़ पड़ते थे
भक्तों की खातिर
अब क्या महेंदी लगा बैठे हो
तुम तो स्वयं मिलने आते थे उनसे
जो नेकी की राह के राही होते थे
आज क्या कोई नेकी नहीं करता
या तू ही अब नेक मानव पैदा नहीं करता
याद है तू तरसा करता था
ब्रज की गोपियों के लिए
क्या वैसा प्रेम अब कोई नहीं करता
बाबा नामदेव ने जब बालपन में
निज माँ बाबा की आज्ञा पालन हेतु तोहे पुकारा
तू सच में भोजन करने आया था
और वचन बद्ध हो तूने सदा नामा की पुकार सुनी थी
तू ने भोजन की पुकार तो सबकी सुनी थी
क्या आज कल तोहे भूख नहीं लगती
और सुनो श्याम प्यारे
ये जो आप हम से आँख मिचौली खेल रहे हो
इसमें भी फायदा हमारा ही है
यदि तुम पकड़े गए तो हम जी भर तुम्हें देखेंगे
और यदि नहीं पकडे गए तो प्रतीक्षा तुम करोगे हम नहीं
क्योंकि हम तो बड़े प्रेम से प्रेम करते हैं तुमसे
और बिन देखे प्रेम करने का आनन्द तुम भी भूले नहीं हो
माना श्याम प्यारे तुम दिलबर हो पर दिलदार तो हम हैं
तुम बड़े काम के हो पर तुम्हारे इश्क़ में बेकार तो हम हैं
ऐसा दुनिया वाले कहते हैं कि तू सबका यार है
पर यारों के यार के यार तो हम हैं
तू कुछ ना दे मुझे बस मेरे प्रेम का श्रृंगार बन जा
अपनी मुरली की धुन मुझे बना ले
और मेरे सुर की झनकार बन जा
जय जय श्री राधे ! श्री राधे ! श्री राधे !
गीता राधेमोहन
प्रेमाभक्ति योग संस्थान दिल्ली
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प्रेमाभक्ति योग - ईश्वर से प्रेम करना ही प्रेमाभक्ति है। प्राचीन समय में पह्लाद से लेकर वर्तमान तक जिसने भी ईश्वर से विशुद्ध प्रेम किया है। उसने सहज ही में ईश्वर को प्राप्त किया है। प्रेमाभक्ति ईश्वर को पाने का सरल और सहज रास्ता है। इस पर चलने के लिए सिर्फ़ एक ही शर्त है कि आप को विशुद्ध प्रेम करना आना चाहिए। You can get perfect solution to your any problem From Premabhakti Yog.
Sunday 25 December 2016
एक प्यारी सी शिकायत अपने प्रीतम श्याम से !
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