Friday 4 November 2016

शब्द क्या है ?

श्री हरि  के प्यारों,
                          -: जय श्री राधे-श्याम  जय श्री सीता-राम :-

28 अक्टूबर 2016 के लेख का अंश 

सवाल :- शब्द क्या है ?
जवाब :- शब्द माता-पिता है। शब्द प्रेम है। शब्द ईश्वर है। शब्द जीवन है। शब्द ज्ञान है। शब्द वैराग्य है। शब्द संसार है। शब्द मेल है। हम सब से पहले शब्द से मिलते हैं। शब्द ही हमको सब कुछ सीखता है। शब्द ही हमारा मार्ग दर्शन करता है। शब्द ही हमको सच्ची पहचान दिलाता है। शब्द से ही यह संसार है। अब आगे 

मानव जब शिशु रूप इस पृथ्वी पर आता है। तब वह कुछ क्रियाएं जानता है या प्रभु उससे कराते  हैं। रुदन करना, शयन करना,भूख का अहसास करना,मल-मूत्र की क्रिया करना। किन्तु एक क्रिया परिवार वाले करते हैं जो नामकरण संस्कार क्रिया कहलाती है। इस क्रिया में शिशु को एक नाम दिया जाता है। जो उसके जीवन का पहला शब्द होता है। जो उसकी प्रथम पहचान बनता है। धीरे-धीरे जब वह बड़ा होता है तब उसकी क्रियाएं भी बढ़ने लगती हैं। हँसना सीखता है। चलना सीखता है। और इन क्रियाओं में एक क्रिया होती है बोलना। 


जब शिशु बोलना सीखता है तब उसका परिचय शब्द से या शब्दों से होता है। शब्द ही उसको ज्ञान देते हैं। जैसे माँ कौन है ? घर में दो-चार स्त्री, पुरुष होते ही हैं किन्तु सभी की पहचान अलग होती है। वो पहचान शब्द कराते हैं। इस प्रकार शिशु अक्षर ज्ञान से पहले शब्द ज्ञान प्राप्त करता है। 


अक्षर ज्ञान से शब्दों की पहचान होती है। किन्तु अक्षर हमको पूर्ण ज्ञान देने में सक्षम नहीं होते हैं। अक्षर-अक्षर के योग से शब्द, शब्द-शब्द के योग से वाक्य, वाक्य-वाक्य के योग से पुस्तक, ग्रन्थ आदि जन्म होता है। किन्तु शब्द ज्ञान के लिए अक्षर ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। शब्द ज्ञान हम स्वतः ही सीखते हैं क्योंकि यह ज्ञान हमको हमारे परिवेश से मिलता है। परंतु लेखन के लिए अक्षर ज्ञान होना अति आवश्यक है। 

यदि हम चाहते कि हमारी पीढ़ी को एक अच्छा परिवेश मिले तो हमको अपने शब्दों को सही और संतुलित करना होगा। आज हमारे शब्द बहुत ही असंतुलित हो चुके हैं। असंतुलित शब्द ही आज के बढ़ते हुए लड़ाई-झगड़े का कारण बनते हैं। शब्दों का खेल बहुत ही अनोखा होता है। मुख से निकले मीठे शब्द आपको सबका प्यारा बनाते हैं।  और कड़वे शब्द लड़ाई-झगड़े व दुश्मनी का कारण बनते हैं। अतः इसलिए महाकवि कबीर दास जी ने भी कहा है। 

ऐसी बानी बोलिए मनका आपा खोय। 
औरन को सीतल करे आपहु सीतल होय।।




शब्द के बारे में और चर्चा अगले लेख में करेंगे धन्यवाद 




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