श्री हरि के प्यारों,
सवाल :- हमको क्या चाहिये ?
-: जय श्री राधे-श्याम जय श्री सीता-राम :-
दोस्तों, 9 अक्टूबर 2016 के लेख स्वयं को जानो के दूसरे सवाल का जवाब तलाश करते हैं। इस लेख का दूसरा सवाल है कि हम को क्या चाहिये ?
आज सभी व्यक्ति अंकों के पीछे दौड़ रहे हैं। कभी घड़ी में समय बताने वाले अंक हमको दौड़ाते हैं तो कभी परीक्षा के अंक दौड़ाते हैं। कभी वेतन के अंक दौड़ाते हैं। और भी ना जाने कैसे-कैसे अंक हैं। जो हमको दिन रात दौड़ाते हैं। और हम दौड़ भी रहे हैं। बिना ये सोचे कि क्या वाक़ई हमको दौड़ना है। क्या वाक़ई हमको इस दौड़ की आवश्यकता है या नहीं। मैं जानती हूँ कि आपको मेरी बातें अटपटी लग रही हैं। किन्तु ये सच है कि हम आज अंकों की अन्धी दौड में शामिल हैं।
दोस्तों, जिंदगी शब्दों से बनती है अंकों से नहीं। अंक कितने ही हासिल हो जाये जब तक शब्द उनको नहीं सहारते सब बेकार हैं। हमको अंकों की जितनी आवश्यकता है उससे कहीं ज़्यादा शब्दों की ज़रूरत है। किताबी कीड़ा बनकर 100/100 पाने से अच्छा, अपने ज्ञान से प्राप्त किये गए अंक होते हैं। क्योंकि हम जीवन में तब ही आगे बढ़ सकते हैं जब हम अध्ययन के साथ मनन भी करते हैं। यदि हम सिर्फ पढ़े हैं तो हम एक मशीन के जैसे हैं। यदि हम गुने हुए हैं तो हम इंसान हैं। आप सभी इंसानों और मशीनों में तो अंतर भली-भाँति समझते होंगे।
जवाब :- हमको शब्द चाहिये। जिससे हम बेहतर इंसान बन सकें। हम बेहतर ढंग से अपने जीवन को जी सकें। हम एक बेहतर समाज-देश-दुनिया का निर्माण का सकें।
सवाल :- शब्द क्या है ?
जवाब :- शब्द माता-पिता है। शब्द प्रेम है। शब्द ईश्वर है। शब्द जीवन है। शब्द ज्ञान है। शब्द वैराग्य है। शब्द संसार है। शब्द मेल है। हम सब से पहले शब्द से मिलते हैं। शब्द ही हमको सब कुछ सीखता है। शब्द ही हमारा मार्ग दर्शन करता है। शब्द ही हमको सच्ची पहचान दिलाता है। शब्द से ही यह संसार है।
शब्द के बारे में और चर्चा अगले लेख में करेंगे धन्यवाद
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