श्री हरि के प्यारों,
-: जय श्री राधे-श्याम जय श्री सीता-राम :-
हम सब इस संसार में आने के बाद सब कुछ जानते हैं। सब कुछ समझते हैं। हर बात का ज्ञान अर्जित लेते है। इतना ज्ञान कर लेते है कि कभी-कभी यही ज्ञान हमारा दुश्मन बन जाता है। कुछ लोग अपनी सामर्थ्य से ज्यादा ज्ञान अर्जित कर लेते हैं। जिसके फलस्वरूप वो प्रत्येक कार्य का क्या परिणाम होगा। अच्छा होगा या बुरा होगा पहले ही बता देते हैं। अपने इसी ज्ञान के कारण यह लोग कभी-कभी पागल भी हो जाते हैं।
यह संसार और इस संसार का ज्ञान, हमको हमेशा दूसरों के बारे में ज्ञान देता है। कभी यह नहीं बताता है कि
हम कौन हैं ?
हम को क्या चाहिये ?
हम इस संसार में किस लिये आये हैं ?
हमारे कर्तव्य क्या हैं ?
क्या हम मशीन हैं ?
क्या ईश्वर ने हमको अंको के पीछे दौड़ने के लिये इस संसार में भेजा है ?
जिस तरह से हम अपना जीवन जी रहे हैं। क्या यह उत्तम है ?
क्या इस जीवन को और उत्तम बनाया जा सकता है ?
ऐसे बहुत से सवाल मन के अंदर बैठे हुए हैं। जिनका जवाब तलाशना अभी भी बाकि है। इन सभी सवालों का जवाब तभी मिलेगा। जब हम आत्म चिंतन के द्वारा अपने आप से मिलेंगे। स्वयं से मिलना बहुत ही आसान है। बस रास्ता पता होना चाहिये। रास्ता कौन बतायेगा ? रास्ता स्वयं ही पता चल जायेगा। बस आप स्वयं को स्वयं के लिये समय दो।
जब सारे कार्य समाप्त करके सोने की तैयारी करो। तब सोने से पहले अपनी पूरे दिन की दिनचर्या को याद करो कि आप ने सारा दिन क्या किया ? क्यों किया ? जो भी किया उसमें आप कहाँ थे ? फिर इस बात को याद करना की जो तुमने किया। क्या वो सब करने के लिए ही श्री हरि ने हमको यह जीवन दिया है ? इस तरह प्रतिदिन करना। श्री हरि की कृपा से जल्दी ही आप की मुलाक़ात स्वयं से होगी।
ऊपर जो सवाल लिखें हैं उनका जवाब श्री हरि की कृपा से आपको जल्दी ही मिल जाये।
-: जय श्री राधे-श्याम जय श्री सीता-राम :-
कोई बात जो आपको परेशान करती हो। कोई सवाल कि ऐसा मेरे साथ ही क्यूँ होता है ? आप की सभी परेशानियाँ आप स्वयं ही दूर कर सकते हो कोई और नहीं कर पायेगा। अपनी समस्या हमको लिखें। उसको दूर करने का रास्ता हम आप को बतायेंगे।
कॉल / whatsApp करें - 9643581002
Email- premabhaktiyog@gmail.com
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