Sunday 19 March 2017

ध्यान क्या है ?

!!ॐ नमो श्री हरि!!

आप सभी को सप्रेम राधे राधे जी !अध्यात्म के मार्ग में ध्यान का बहुत महत्व है। परंतु ध्यान लगाएं कैसे ? ध्यान का सबसे बड़ा दुश्मन मन है। बहुत से लोग प्रतिदिन घण्टों आँखे बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठे रहते हैं। लेकिन परिणाम कुछ नहीं आता है। तो सबसे पहले यह जान लें कि ध्यान क्या है ?

ध्यान के लिए आँखें बंद करके बैठना आवश्यक नहीं है। ध्यान प्रतिपल लगाया जा सकता है। ध्यान के लिए लगन होनी आवश्यक है और लगन  उसी से लगती है जिसको हम प्रेम करते हैं। यदि आपको श्री हरि से प्रेम हो तो आप प्रत्येक अवस्था में प्रतिपल ध्यान लगा सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे माँ अपने बच्चे के ध्यान में मगन रहती है। प्रेमी अपने प्रेमी या प्रेमिका के ध्यान में रहता है। ध्यान का आरम्भ प्रेम से होकर, चिंतन से विचरकर समाधि तक पहुँचना होता है। यदि आप सीधे समाधि में ध्यान लगाने की कोशिश करते हैं तो आप बिना सीढ़ी के सीधे छत पर जाने का प्रयास कर रहे हैं। तो पहले श्री हरि से प्रेम करो ध्यान तक स्वयं ही पहुँच जाओगे। श्री हरि की प्राप्ति के लिए पहला व सहज मार्ग या पहली सीढ़ी प्रेम है। 

जो भक्तजन  प्रेमाभक्ति का मार्ग चुनते हैं। उनसे श्री हरि स्वयं  मिलने आते हैं। श्री हरि अपने प्रेमीजनों से पलभर का विरह भी  नहीं  सह  पाते हैं। यह त्रुटि हमारी है कि हम ऐसे हरि को छोड़ दुनिया से नेहा लगाते हैं और दुःख सहते हैं। ब्रज की गोपियों ने श्री हरि को प्रेम से ही पाया था। गोपियाँ श्री हरि के प्रेम में रह कर प्रत्येक अवस्था में प्रतिपल श्री हरि का ध्यान करतीं थीं। तो फिर हम क्यों योगियों वाले ध्यान में फँसकर, गोपियों वाले ध्यान से भटक रहे हैं। जय जय श्री राधे राधे !

गीता राधेमोहन 
प्रेमाभक्ति योग संस्थान 

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