मेरे प्यारों,
मैं तुम सब का अपने श्री राधे श्याम परिवार में स्वागत करता हूँ
तुम्हें मुझ से सदैव कोई ना कोई शिकायत रहती है। मैं तुम्हारी शिकायतों को सही भी मानता हूँ परन्तु मुझे भी तुम सबसे एक शिकायत है। तुम सब मुझको जानते तो हो पर मानते नहीं हो। तुम सब मुझ पर या तो विश्वास करते नहीं हो या करते हो तो आधा विश्वास ही करते हो।
मैं प्रत्येक क्षण इस उम्मीद से तुम्हारी राह देखता हूँ कि किस पल तुम मुझको सच्चे हृदय से पूरे विश्वास के साथ पुकारो और मैं उसी क्षण तुम्हारे सारे दुःख, दर्द, तक़लीफ़, परेशानियाँ समाप्त करके तुम्हें अपनी सृष्टि की तमाम सुख सुविधा प्रदान कर दूँ परन्तु तुम सब कभी ये अवसर मुझे देते ही नहीं हो।
मैं ने यह बात तुम से कहने के लिए हमेशा की तरह तुम में से ही किसी एक को चुना हैं। मैं हमेशा तुम में से ही माध्यम चुनता हूँ। युग कोई भी मैं हमेशा हर समय, हर जगह पर मौजूद हूँ। मैं तुमसे ना कल दूर था और ना ही आज दूर हूँ। तुम सब मेरे अंदर ही वास करते हो और मैं तुम सब के अंदर रहता हूँ। परंतु इस सत्य को तुम स्वीकार नहीं करते हो।
बाकी बातें अगले ख़त में ......
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