Saturday, 10 September 2016

श्री राधे श्याम का ख़त

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मेरे प्यारों, 

                तुम सब ने मेरा अभिनन्दन स्वीकार किया उसका बहुत-बहुत धन्यवाद !




मैंने अपने पहले पत्र में कहा था कि मैं  हर पल  हर समय इस पूरे ब्रह्माण्ड के प्रत्येक कण में विद्यमान हूँ। अब आगे...... 

               मुझे दुःख होता है जब कोई तुम को मेरे नाम से धोखा देता है या तुम किसी को मेरे नाम से धोखा देते हो। मैंने इस ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु तुम्हारे लिए बनाई है। चाहे वो सौर मण्डल में घूमते हुए ग्रह हों या पृथ्वी पर बहती नदिया, हरे भरे पेड़, पहाड़ सब कुछ तुम्हारे लिए हैं छोटी से छोटी वस्तु से लेकर बड़ी से बड़ी हर वस्तु तुम्हारे लिए है। 


                यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम इन सभी वस्तुओं का प्रयोग किस प्रकार करते हो। मेरे इस ब्रह्माण्ड में जितनी भी, जो भी चीजें तुम देखते हो वो सभी जितनी लाभकारी हैं, उतनी ही विनाशकारी हैं। यदि तुम इन सभी का प्रयोग जन कल्याण, समाज कल्याण, विश्व कल्याण के लिए करोगे तो तुम हमेशा इस संसार की सभी सुख सुविधाओं को सरलता से प्राप्त कर पाओगे।  यदि तुम विनाश के लिए इनका प्रयोग करोगे तो स्वयं के साथ जन,समाज,विश्व का भी पतन करोगे। 


                 एक बात और कहनी है कि  ये नौ ग्रह मैंने तुम्हारे पीछे नहीं  लगाएं हैं।  यह सब नक्षत्र, ग्रह आदि मेरी सृष्टि का हिस्सा हैं। यह सब अपना काम करते हैं तुम को इनसे डरने की जरुरत नहीं है। ना मैं तुम को सजा देता हूँ और ना ही कोई दूसरा तुमको सजा देता है।  तुम खुद अपने को सजा देते हो। मेरी सृष्टि का यही नियम है कि यहाँ तुम सब कुछ स्वयं करते हो। और जब तुम खुद स्वयं को सजा देते हो तो कोई क्या कर सकता है। अब तुम स्वयं के लिए अच्छा चुनते हो या बुरा चुनते हो ये तुम पर ही निर्भर करता है। 


      सृष्टि के कुछ और नियम अपने अगले खत में खोलूँगा........  



     

Friday, 9 September 2016

श्री राधे श्याम का ख़त

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मेरे प्यारों,

                मैं तुम सब का अपने श्री राधे श्याम परिवार में स्वागत करता हूँ 


                तुम्हें मुझ से सदैव कोई ना कोई शिकायत रहती है। मैं  तुम्हारी शिकायतों को सही भी मानता हूँ परन्तु मुझे भी तुम सबसे एक शिकायत है। तुम सब मुझको जानते तो हो पर मानते नहीं हो। तुम सब मुझ पर या तो विश्वास करते नहीं  हो या करते हो तो आधा विश्वास ही करते हो। 

मैं प्रत्येक क्षण इस उम्मीद से तुम्हारी राह देखता हूँ कि किस पल तुम मुझको सच्चे हृदय से पूरे विश्वास के साथ पुकारो और मैं उसी क्षण तुम्हारे सारे दुःख, दर्द, तक़लीफ़, परेशानियाँ समाप्त करके तुम्हें अपनी सृष्टि की तमाम सुख सुविधा प्रदान कर दूँ परन्तु तुम सब कभी ये अवसर मुझे देते ही नहीं हो। 

मैं ने यह बात तुम से कहने के लिए हमेशा की तरह तुम में से ही किसी एक को चुना हैं। मैं हमेशा तुम में से ही माध्यम चुनता हूँ। युग कोई भी मैं हमेशा हर समय, हर जगह पर मौजूद हूँ।  मैं तुमसे ना कल दूर था और ना ही आज दूर हूँ।  तुम सब मेरे अंदर ही वास करते हो और मैं तुम सब के अंदर रहता हूँ।  परंतु इस सत्य को तुम स्वीकार नहीं करते हो।  

बाकी बातें अगले ख़त में ......